- बिजौलिया ठिकाना
- संस्थापक - अशोक परमार (जग्नेर भरतपुर)
- किसने दिया - राणा सांगा ने
- कितनी जागीर - भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़) से बिजौलिया तक के बीच का 256 वर्ग किलोमीटर भाग उपरमाल जागीर के रूप में दिया
- मेवाड़ का प्रथम श्रेणी का ठिकाना था
- वर्तमान में - भीलवाड़ा में
- बिजोलिया के जागीरदार रावजी कहलाते थे
- भारत में संगठित किसान आंदोलन प्रारंभ करने का श्रेय बिजौलिया ठिकाने को ही जाता है
- बिजौलिया किसान आंदोलन
- भारत का प्रथम अहिंसा में किसान आंदोलन
- भारत का मैराथन किसान आंदोलन
- भारत का सबसे लंबा चलने वाला किसान आंदोलन
- 1897 से 1941 तक 44 वर्ष तक चला
- सर्वाधिक धाकड़ जाति के किसानों ने भाग लिया
- मेवाड़ महाराणा - फतेह सिंह
- भुमि कर - ½ भाग
- लाग बाग - 84 प्रकार की
- 1897 में गिरधारीपुरा गांव में गंगाराम धाकड़ के पिता के मौसर में निर्णय लिया
- नानजी व ठाकरी पटेल
- मेवाड़ महाराणा फतेह सिंह से मिलने के लिए भेजा
- 6 माह तक मेवाड़ रहे लेकिन महाराणा से भेंट नहीं हुई
- साधु सीताराम की सलाह पर शिकायती पत्र को कार्यालय में छोड़कर आ गये
- हामिद हुसैन
- फतेह सिंह ने इनसे जांच करवाई
- 6 माह तक बिजौलिया में रहे और किसानों की मांगों को सही बताया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की।
- किशन सिंह
- 1894 में जागीरदार गोविंद सिंह की मृत्यु के बाद जागीरदार बना
- 1903 में लड़की के विवाह पर 5 रुपए का चंवरी कर लगा दिया।
- किसानों ने दो वर्ष तक लड़कियों का विवाह नहीं किया तथा अक्षय तृतीया के दिन हल नहीं चलाएं
- किशन सिंह ने चंवरी कर समाप्त कर दिया और लगान को 50% के स्थान पर 40% कर दिया
- पृथ्वीसिंह
- 1906 में किशन सिंह की मृत्यु के बाद जागीरदार बना
- महाराणा को तलवार बंधाई के रूप में 40 हजार रुपए देने पड़े
- इस वजह से इन्होंने किसानों पर तलवार बधाई / उत्तराधिकारी / अपमानित कर / नजराना कर के रूप में एक नया कर लगा दिया।
- केशरीसिंह
- 1914 में पृथ्वी सिंह की मृत्यु के बाद जागीरदार बना
- अल्पवयस्क जागीरदार
- बिजौलिया जागीर पर कोर्ट ऑफ वार्ड्स (मुसर मात) का अधिकार हो गया
- कोर्ट ऑफ वार्ड्स / मुसर मात - जागीर सीधे महाराणा के अधीन खालसा में आ गई
- 1914 में प्रथम विश्व युद्ध हुआ तो महाराणा ने जनता से ऋण वसूलना प्रारंभ कर दिया
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