बिजौलिया किसान आन्दोलन‌ भाग 1 : बिजौलिया किसान आन्दोलन में किस जाति के सर्वाधिक किसानों ने भाग लिया था।

Abrar Khan
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बिजौलिया किसान आन्दोलन‌ भाग 1
इस लेख में हम पढ़ेंगे राजस्थान के किसान आन्दोलन‌ टॉपिक से संबंधित बिजौलिया किसान आन्दोलन के बारे में क्यों की बिजौलिया किसान आन्दोलन से संबंधित एक प्रश्न परीक्षा में जरूर पूछ लिया जाता है तो चलिए शुरू करते हैं।
  • बिजौलिया ठिकाना
    • संस्थापक - अशोक परमार (जग्नेर भरतपुर)
    • किसने दिया - राणा सांगा ने 
    • कितनी जागीर - भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़) से बिजौलिया तक के बीच का 256 वर्ग किलोमीटर भाग उपरमाल जागीर के रूप में दिया 
    • मेवाड़ का प्रथम श्रेणी का ठिकाना था
    • वर्तमान में - भीलवाड़ा में
    • बिजोलिया के जागीरदार रावजी कहलाते थे 
    • भारत में संगठित किसान आंदोलन प्रारंभ करने का श्रेय बिजौलिया ठिकाने को ही जाता है
  • बिजौलिया किसान आंदोलन
    • भारत का प्रथम अहिंसा में किसान आंदोलन
    • भारत का मैराथन किसान आंदोलन 
    • भारत का सबसे लंबा चलने वाला किसान आंदोलन
    • 1897 से 1941 तक 44 वर्ष तक चला
    • सर्वाधिक धाकड़ जाति के किसानों ने भाग लिया
    • मेवाड़ महाराणा - फतेह सिंह
    • भुमि कर - ½ भाग
    • लाग बाग - 84 प्रकार की
    • 1897 में गिरधारीपुरा गांव में गंगाराम धाकड़ के पिता के मौसर में निर्णय लिया 
  • नानजी व ठाकरी पटेल
    • मेवाड़ महाराणा फतेह सिंह से मिलने के लिए भेजा
    • 6 माह तक मेवाड़ रहे लेकिन महाराणा से भेंट नहीं हुई
    • साधु सीताराम की सलाह पर शिकायती पत्र को कार्यालय में छोड़कर आ गये 
  • हामिद हुसैन 
    • फतेह सिंह ने इनसे जांच करवाई
    • 6 माह तक बिजौलिया में रहे और किसानों की मांगों को सही बताया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की।
  • किशन सिंह
    • 1894 में जागीरदार गोविंद सिंह की मृत्यु के बाद जागीरदार बना
    • 1903 में लड़की के विवाह पर 5 रुपए का चंवरी कर लगा दिया।
    • किसानों ने दो वर्ष तक लड़कियों का विवाह नहीं किया तथा अक्षय तृतीया के दिन हल नहीं चलाएं 
    • किशन सिंह ने चंवरी कर समाप्त कर दिया और लगान को 50% के स्थान पर 40% कर दिया
  • पृथ्वीसिंह
    • 1906 में किशन सिंह की मृत्यु के बाद जागीरदार बना
    • महाराणा को तलवार बंधाई के रूप में 40 हजार रुपए देने पड़े
    • इस वजह से इन्होंने किसानों पर तलवार बधाई / उत्तराधिकारी / अपमानित कर / नजराना कर के रूप में एक नया कर लगा दिया।
  • केशरीसिंह
    • 1914 में पृथ्वी सिंह की मृत्यु के बाद जागीरदार बना 
    • अल्पवयस्क जागीरदार
    • बिजौलिया जागीर पर कोर्ट ऑफ वार्ड्स (मुसर मात) का अधिकार हो गया
    • कोर्ट ऑफ वार्ड्स / मुसर मात - जागीर सीधे महाराणा के अधीन खालसा में आ गई 
    • 1914 में प्रथम विश्व युद्ध हुआ तो महाराणा ने जनता से ऋण वसूलना प्रारंभ कर दिया
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