इस लेख में हम पढ़ेंगे राजस्थान की प्राचीन सभ्यता आहड़ से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य जो आपके आगे आने वाली परीक्षा में अहम भूमिका निभायेंगे, अगर आप इस लेख में दिए गए तथ्यों को सावधानी पूर्वक पढ लेते हैं तो परीक्षा में आहड़ सभ्यता से संबंधित कोई भी प्रश्न गलत नहीं होगा।
प्रश्न. आहड़ का प्राचीन नाम क्या था
A. धुलकत
B. बैराठ
C. अघतपुर
D. ताम्रवती
🩸 आहड़ सभ्यता
- शिलालेखों में आहड़ का प्राचीन नाम - ताम्रवती
- ताम्र सभ्यताओं की जननी - गणेश्वर सभ्यता
- 10वीं 11वीं शताब्दी में आहड़ को आघाटपुर के नाम से जाना जाता था
- स्थानीय लोग आहड़ को धूलकोट कहते थे
- आहड़ संस्कृति बनास व उसकी सहायक नदियों के आसपास पनपी इसलिए इसे बनास संस्कृति भी कहते हैं
- इसे मृतकों के टीलों की सभ्यता भी कहते हैं
∆ आहड़ सभ्यता की खोज
- 1953 में अक्षय कीर्ति व्यास द्वारा
- आहड़ सभ्यता का उत्खनन
- 1954 - 56 में रतन चंद्र अग्रवाल द्वारा
- 1961 - 62 में वीरेंद्र नाथ मिश्र व हंसमुख धीरज सांकलिया द्वारा
- यह एक ग्रामीण सभ्यता है।
- इस सभ्यता के लोग गेहूं, चावल एवं ज्वार का खाद्यान्न के रूप में प्रयोग करते थे।
- इस सभ्यता का समय 1800 ईसा पूर्व से 1200 ईसा पूर्व का माना जाता है।
- गोपीनाथ शर्मा ने इसका समय 1900 ईसा पूर्व से 1200 ईसा पूर्व का माना है।
- मिट्टी की टेराकोटा पद्धति से बनी एक बैल की मूर्ति मिली है जिसे बनाशियल बूल का नाम दिया गया।
- यहां से 6 यूनानी ताम्र मुद्राएं मिली है जिन पर एक और त्रिशूल और दूसरी और यूनानी देवता अपोलो का चित्र बना हुआ है।
- यहां से तीन मोहरे मिली है जिन पर विहितम विस, पलितसा तथा तातीय तोम सन अंकित है।
- इस स्थान का उत्खनन 8 स्तर पर मिला है जिससे यह जानकारी मिलती है कि यह बस्ती 8 बार बनी एवं उजड़ी होगी।
- यहां से प्राप्त लाल काले रंग के बर्तनों से पता चलता है कि आहड़ लाल काले मृदभाण्ड वाले संस्कृति का प्रमुख केंद्र था।
- यहां से अनाज रखने के बड़े मृदभाण्ड मिले हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में गोरे व कोठे कहते थें।
- आहड़वासी मकान से गंदा पानी निकालने के लिए चक्रकूप नामक वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग करते थे।
- यहां के लोग पत्थर व धूप में सुखाई गई कच्ची ईंटों से मकान बनाते थे।
- यहां के लोग नींव में शिष्ट पत्थर काम में लेते थे तथा दीवारों में चकमक पत्थर लगाया जाता था।
- आहड़ सभ्यता ताम्र युगीन थी लेकिन यहां के लोग तांबे के साथ-साथ लोहे के उपकरणों का भी प्रयोग करने लगे थे इस कारण यह सभ्यता लौह युगीन भी थी
- भारतीय उपमहाद्वीप में लोहे का प्राचीनतम साक्ष्य आहड़ से मिला है
- इस सभ्यता का संबंध ईरान से है जबकि सिंधु सभ्यता का संबंध मेसोपोटामिया से है
- कुत्ता गेंडा हाथी मेंढक पशु पालने के प्रमाण मिले हैं
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