इस लेख में हम यूनेस्को द्वारा राजस्थान के विश्व धरोहर स्थल के बारे में जानेंगे। राजस्थान के कितने स्थल को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है तथा कब कब किया गया है। ये सभी महत्वपूर्ण तथ्य इस लेख से हम कवर करेंगे।
- यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर सूची में शामिल राजस्थान के स्थल
- यूनेस्को द्वारा राजस्थान के नौ स्थल को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
- जंतर मंतर
- चित्तौड़ का किला
- कुंभलगढ़ का किला
- गागरोन का किला
- जैसलमेर का किला
- रणथम्भौर का किला
- आमेर का किला
- जयपुर शहर
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान / घना पक्षी विहार
- 1985 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया
- स्थित - भरतपुर में
- राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा - 27 अगस्त 1981 में
- प्रसिद्ध - साइबेरियन सारस, पायथन प्वाइंट, कदंब वृक्ष
- इस अभयारण्य को पक्षियों की स्वर्ग भूमी भी कहते हैं
- जंतर मंतर
- 2010 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया
- स्थित - जयपुर में
- स्थापना - सवाई जयसिंह द्वारा
- सवाई जयसिंह ने जयपुर, दिल्ली, बनारस, उज्जैन व मथुरा में पांच वेधशालाओं का निर्माण करवाया था
- सबसे बड़ी वेधशाला जयपुर वेधशाला तथा सबसे प्राचीन वेधशाला दिल्ली वेधशाला थी
- चित्तौड़गढ़ किला
- स्थित - चित्तौड़गढ़ में
- निर्माण - चित्रांगद मोर्य ने 7वी सदी में
- आधुनिक निर्माता - महाराणा कुम्भा
- क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा दुर्ग
- गंभीरी व बेड़च नदी के किनारे
- कुंभलगढ़ दुर्ग
- निर्माता - महाराणा कुंभा
- शिल्पी - मण्डन
- मेवाड़ मारवाड़ सीमा पर होने के कारण इसे मेवाड़ की आंख भी कहते हैं
- इसी दुर्ग में 1537 में राणा उदय सिंह का राजतिलक हुआ
- 9 मई 1540 को इसी दुर्ग के बादल महल में महाराणा प्रताप का जन्म हुआ
- अबुल फजल ने इस दुर्ग के बारे में कहा था यह दुर्ग इतनी ऊंचाई पर बना है कि नीचे से ऊपर तक देखने पर सिर की पगड़ी गिर जाती है
- गागरोन दुर्ग
- स्थित - झालावाड़ में
- कालीसिंध और आहू नदी के संगम पर
- प्राचीन नाम - गर्गराटपुर
- अन्य नाम - डोडगढ, दुलारगढ
- निर्माण - विजलदेव परमार ने
- गीधकराई पहाड़ी, मीठेशाह की दरगाह, हम्मीदुदीन की दरगाह, औरंगजेब द्वारा निर्मित बुलंद दरवाजा।
- जैसलमेर का किला
- निर्माण - 12 जुलाई 1155 को जैसल देव भाटी द्वारा
- निर्माण पूर्ण करवाया - 1162 में सालीवाहन द्वितीय ने
- इस दुर्ग के निर्माण में चूने का प्रयोग नहीं हुआ है बल्कि जिप्सम का प्रयोग हुआ है
- इस दुर्ग में सर्वाधिक 99 बुर्ज है
- अन्य नाम - स्वर्णगिरी, गलियों का दुर्ग, भाटी भट कीवाड़, पश्चिमी सीमा का प्रहरी
- रणथम्भौर का दुर्ग
- निर्माण - 887 ई में रणधामदेव द्वारा
- इस दुर्ग में नौलखा दरवाजा है (नौलखा महल चित्तौड़गढ़ दुर्ग में है)
- इसे चित्तौड़गढ़ दुर्ग का छोटा भाई व दुर्गाधीराज भी कहते हैं
- अबुल फजल ने इस दुर्ग के बारे में कहा था बाकी सभी दुर्ग नंगे है यह बख्तरबंद है
- जलालुद्दीन खिलजी ने इस दुर्ग के बारे में कहा कि ऐसे 10 दुर्गों को में मुसलमान के बाल के बराबर भी नहीं समझता
- आमेर का दुर्ग
- पहाड़ी - कालीखोह पहाड़ी
- अम्बर दुर्ग व अम्बावती भी कहते हैं
- आधुनिक निर्माता - मानसिंह प्रथम
- आमेर दुर्ग के गणेश पोल को फर्ग्यूसन ने दुनिया का सबसे सुन्दर दरवाजा बताया
- सर्वाधिक विदेशी पर्यटक आते हैं
- इस दुर्ग में कदमी महल है जहां कच्छवाहा वंश का राजतिलक होता था
- 1707 में बहादुर शाह ने इस दुर्ग का नाम मोमिनाबाद कर दिया
- जयपुर शहर
- स्थापना - सवाई जयसिंह द्वारा 18 नवंबर 1727 को
- कच्छवाहा राजवंश की तीसरी व अंतिम राजधानी
- नींव - पंडित जगन्नाथ ने
- वास्तुकार - विद्याधर भट्टाचार्य
- आधुनिक जयपुर शहर का निर्माता - मिर्ज़ा इस्माइल
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