- आउवा में 1857 का विद्रोह
- विद्रोह का नेतृत्व - ठाकुर कुशाल सिंह चम्पावत
- 1857 की क्रांति के समय राजस्थान में सैनिक छावनियां
- नसीराबाद छावनी - अजमेर
- ब्यावर छावनी - अजमेर
- देवली छावनी - टोंक
- एरिनपुरा छावनी - पाली
- खेरवाड़ा छावनी - उदयपुर
- नीमच छावनी - मध्यप्रदेश
- ठाकुर कुशाल सिंह चम्पावत और अंग्रेजों के मध्य युद्ध
- बिठोड़ा का युद्ध
- चेलावास युद्ध
- बिठोड़ा का युद्ध
- जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस ने जोधपुर के शासक तख्त सिंह को कुशाल सिंह चंपावत के विद्रोह को दबाने के निर्देश दिए।
- तख्त सिंह ने आउवा में अनार सिंह के नेतृत्व में सेना भेजी
- अनार सिंह और कुशाल सिंह चम्पावत के मध्य युद्ध हुआ
- कब - 8 सितंबर 1857 को
- कुशाल सिंह चम्पावत की जीत हुई और अनार सिंह मारा गया
- चेलावास युद्ध / काला गौरा युद्ध
- कब हुआ - 18 सितंबर 1857
- किनके मध्य - कुशाल सिंह चम्पावत और जोधपुर के पोलिटिकल एजेंट
- मेकमोसन के मध्यमेकमोसन को मारकर इसके सिर को काटकर आउवा के किले पर लटका दिया
- होम्स व डीसा
- आउवा में पालनपुर से इनके नेतृत्व में बड़ी सेना भेजी
- 20 जनवरी 1858 को - आउवा के किले को घेर लिया
- 23 जनवरी 1858 को - कुशाल सिंह चम्पावत आउवा के किले का कार्यभार पृथ्वी सिंह को सौंपकर कोठारिया के जोधसिंह के पास चलें गए।
- होम्स व डीसा ने आउवा को लुटा और कुशाल सिंह चम्पावत की कुल देवी सुगाली माता की मूर्ति ले गये
- सुगाली माता
- 1857 की क्रांति की कुलदेवी।
- मूर्ति की विशेषता - 10 सिर और 54 हाथ है।
राजस्थान में 1857 की क्रांति: किस पोलिटिकल एजेंट का सिर काटकर आउवा के किले के दरवाजे पर लटका दिया था।
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December 14, 2024
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