राजस्थान के लोक देवता: गोगाजी का जन्म कहां पर हुआ था।

Abrar Khan
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लोकदेवता गोगाजी चौहान जीके

  • लोकदेवता गोगाजी से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
    • जन्म - भाद्रपद कृष्ण नवमी को ददरेवा चूरू में
    • माता पिता - जेवर सिंह चौहान व बाछल
    • गुरु - गोरखनाथ
    • पत्नी - केलमदे (बूढ़ो जी की पुत्री)
    • शादी - कोलूमण्ड फलौदी
    • प्रतीक - सर्प
    • जागरण में डेरु व माठ वाद्य यंत्र का प्रयोग 
    • मेला - भाद्रपद कृष्ण नवमी को

  • गोगाजी के उपनाम
    1. सांपों के देवता
    2. गोगा पीर
    3. जाहरपीर
    4. गौ रक्षक देवता
    5. जिंदा पीर
  • मोहम्मद गजनवी और गोगाजी
    • गोगाजी को जाहरपीर / जिंदा पीर कहां
    • गोगाजी के मौसेरे भाई अर्जन सर्जन ने गायें मोहम्मद गजनवी को दे दी।
    • गोगाजी के साथ युद्ध किया
  • कवि मेह 
    • गोगा जी का रसावला ग्रंथ की रचना की
  • गोगाजी की घोड़ी
    • नीले रंग की
    • गोगा बप्पा कहते हैं
  • केसरियानाथ जी
    • गोगा जी के पुत्र
    • पुजा - भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को
    • इनका पुजारी जहर को मुंह से चूसकर निकाल देता है।
  • कायम सिंह / कर्मसिहं / कायम खां
    • गोगा जी के वंशज
    • इनके वंशज कायमखानी मुस्लिम कहलाए
  • गोगा राखड़ी
    • किसान व हल के बांधी जाती है
    • 9 गांठें होती है
  • गोगाजी के मंदिर की विशेषता
    • मेड़ी बोलते हैं 
    • खेजड़ी के नीचे होता है 
    • बनावट - मस्जिदनुमा
    • ध्वजा - सफेद रंग की
    • बिस्मिल्लाह लिखा होता है 
  • गोगाजी का गोगामेडी मंदिर 
    • कहां - नोहर हनुमानगढ़ में
    • निर्माण - फिरोज शाह तुगलक ने कायम खानी सैनिकों के कहने पर
    • आधुनिक निर्माता - गंगा सिंह
    • धुरमेड़ी कहते हैं क्योंकि युद्ध करते समय इनका धड़ यहां गिरा था
    • मंदिर के पास तालाब - गोरख तालाब
    • इस मंदिर में 11 महीने कायमखानी मुस्लिम पूजा करता है और 1 महीने हिंदू पुजारी
  • गोगाजी के अन्य मंदिर
    • ददरेवा (चूरू)
      • शीशमेड़ी कहते हैं क्योंकि शुद्ध करते समय इनका शीश यहां गिरा था।
    • सांचौर (जालौर)
      • गोगा जी की ओल्ड़ी / झोपड़ी स्थित
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