राजस्थान के लोकदेवता: पाबूजी की फड़ का वाचन किस‌ वाद्ययंत्र से किया जाता है।

Abrar Khan
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पाबूजी की घोड़ी का नाम क्या था

  • पाबूजी राठौड़
    • जन्म
      • कब - 1239 ई में चैत्र अमावस्या को
      • कहां - कोलूमंड फलौदी में 
    • पिता - धांधलजी राठौड़
    • माता - कमला
    • पत्नी - सुप्यार फूलम (अमरकोट के सूरजमल सोढा के पुत्री)
    • उपनाम - ऊंटों के देवता, प्लेग रक्षक देवता, गौरक्षक देवता, हाड फाड़ के देवता, वचन पालक, शरणागत के रक्षक, अछूतोद्धारक देवता।
    • अवतार - लक्ष्मण का
    • प्रतीक - अश्वारोही / भाला
    • पगड़ी - बाई और झुकी होती है
    • बहन - सोहन बाई
  • केसर कालमी
    • पाबूजी की घोड़ी का नाम।
    • काले रंग की।
    • देवल चारणी ने दी थी।
    • गायों की रक्षा का वचन लिया।
  • पाबूजी के सहयोगी
    • चांदा जी, हरमल जी, सलजी, डेम्बोजी।
    • हरमल जी - पाबूजी के ऊंटों की देखभाल करता था।
  • जिन्दराव खींची
    • जायल (नागौर) के शासक।
    • पाबूजी के बहनोई।
    • पाबूजी की शादी के समय देवल चारणी की गायों के अपहरण कर लिया।
  • पाबूजी का जिन्दराव खींची के साथ युद्ध 
    • साढ़े तीन फेरे लेकर शादी को बीच में छोड़कर युद्ध करने गए।
    • पाबूजी देचूं गांव (जोधपुर) में शहीद ।
    • पाबूजी की मौत का बदला पाबूजी के बड़े भाई बूढोजी के पुत्र रूपनाथ जी / झरड़ा जी ने जिंदराव खींची को मारकर लिया।
  • पाबूजी की फड़ 
    • वाचन - नायक / आयड़ जाति का भोपा।
    • वाद्ययंत्र - रावण हत्था वाद्य यंत्र से।
    • कब - ऊंट के बीमार होने पर।
  • पाबूजी के पावड़े / गाथागीत
    • रायका व रेबारी जाति गाती है।
    • माठ वाद्य यंत्र से।
  • थ्योरी जाति
    • सारंगी वाद्ययंत्र से यशोगान करती है।
    • पाबूजी ने थ्योरी जाति के 7 व्यक्तियों की गुजरात के शासक आना बघेला से रक्षा की थी।

  • पाबूजी जी से संबंधित अन्य तथ्य
    • पाबूजी का मेला - चैत्र अमावस्या को।
    • पाबूजी के मंदिर में नृत्य - थाली नृत्य।
    • पाबूजी के अनुयायी शादी में साढे तीन फेरे लेते हैं
    • मारवाड़ में सर्वप्रथम ऊंट व सांडे लाने का श्रेय पाबूजी को जाता है।
    • मेहर मुसलमान पाबूजी को पीर मानते हैं।
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